पहला दिन ,
कुछ बातें हैं जो ब्लॉग लिखने से पहले आपको कहना चाहती हूँ। यहाँ आने का कारण एक तो ये है ,जो शायद हर लेखक का होता है , अपने मन में मचलते विचार , ख़ाब आपको बताना। मेरा मन आप मेरे कविताओं और कहानियों से पढ़ सकते हैं। दूसरा कारण हैं आप , मैं चाह्ती हूँ आप इसे अपनी चौपाटी हीं समझेँ। आप जो हैं यहाँ कह सकते हैं , आपकी चाहत , परेशानियाँ या कोई बात जो बस आप कहना चाहते हैं। ये आपके कहानियों का शहर होगा , जहाँ चाय पीते , समोसे खाते मैं आपको एक ऐसे जहाँ जहान में ले जाउंगी , जहाँ बस आप होंगे और आपका नया कहानियों का शहर। दोस्ती को एहमियत देते हुए , एक दोस्तों पे लिखी कविता आप सब की नज़रों तक।
तुम्हे पुकार लूँ।
जब सवेरा आँखें मिचकाते आए ,
थोड़ा और सोने को मेरा मन ललचाए,
जब सर्दी में रज़ाई हमे बड़ा प्रेम दिखाए ,
बिस्तर से उठूँ कैसे ? ये प्रश्न हमे रुलाए।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तुम्हारा नाम लूँ , तम्हे पुकार लूँ।।
जब लगी ज़ोर की भूख हो ,
जब घर का खाना याद आए ,
जब mess की थाली देखकर चिल्लाने का जी हो जाए।
जब गले में हो प्यास और पानी बिलकुल न भाए ,
जब जेब में फूटी कौरी न हो ,
और icecreme पे दिल आ जाए।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तुम्हारा नाम लूँ , तुम्हे पुकार लूँ।।
जब गुरूजी की बातें ,सर के उपर से पार हो जाए ,
और class में बैठें रहना हमे रुलाए ,
जब equations के मेले में हम भटक रहे हों अकेले ,
जब पढ़ते पढ़ते हमे माँ की चम्पी याद आ जाए।
जब परीक्षा अपना विकट रूप दिखाए ,
और डर से हम शाष्टांग हो जाए ,
जब नींद भरी आँखें देख तुम हमपर चिल्लाए ,
फिर तो डर से नींद भी भाग जाए ,
फिर भी ५ मिनट सोने को हमारा मन ललचाए।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तुम्हारा नाम लूँ , तुम्हे पुकार लूँ।।
जब सोच के पन्ने हमे सपने बड़े दिखाए ,
कुछ अजूबा सा कर जाने को दिल मेरा ललचाए ,
जब हकीकत सपने तोड़ने को हों आँखें लड़ाए ,
जब मुश्किलों से हार कर हम खुद को कोसते जाएं ,
जब देवदास की प्रीतिमा बने हम काश काश चिल्लाएं ,
जब कोशिश पीछे छोड़ कर रोने का गाना गाएं।।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तम्हारा नाम लूँ, तुम्हे पुकार लूँ।।
जब दिन की करकारती धूप में हमे चाय पिने का मन हो जाए ,
जब घुम्मकड़ प्रकृति से तंग हमे बस चलते रहना पसंद आए ,
जब बातें बोहोत सुनानी हों ,
जब ख़ामोशी ही राश आए ,
जब खुले आसमां के नीचे सोने का मन हो जाए ,
जब बारिश की बुँदे मन में हमारे खेल कोई नया लाए ,
जब हवा बसंती हमे कहीं दूर बुलाए ,
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तुम्हारा नाम लूँ , तम्हे पुकार लूँ।।
जब कोई दिल तोड़ के चला जाए ,
जब जीवन गम का सागर बन जाए ,
"यहाँ सब कुछ बेकार है ,
यहाँ तो मरना भी दुश्वार है "
जब इस छोटे से दिमाग में ख्याल विचित्र आए ,
पागल और हममे कोई फर्क न रह जाए ,
जब बेकार की बातों में हम अपने सपने भूल जाएं।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तम्हारा नाम लूँ ,तम्हे पुकार लूँ।।
कुछ बातें हैं जो ब्लॉग लिखने से पहले आपको कहना चाहती हूँ। यहाँ आने का कारण एक तो ये है ,जो शायद हर लेखक का होता है , अपने मन में मचलते विचार , ख़ाब आपको बताना। मेरा मन आप मेरे कविताओं और कहानियों से पढ़ सकते हैं। दूसरा कारण हैं आप , मैं चाह्ती हूँ आप इसे अपनी चौपाटी हीं समझेँ। आप जो हैं यहाँ कह सकते हैं , आपकी चाहत , परेशानियाँ या कोई बात जो बस आप कहना चाहते हैं। ये आपके कहानियों का शहर होगा , जहाँ चाय पीते , समोसे खाते मैं आपको एक ऐसे जहाँ जहान में ले जाउंगी , जहाँ बस आप होंगे और आपका नया कहानियों का शहर। दोस्ती को एहमियत देते हुए , एक दोस्तों पे लिखी कविता आप सब की नज़रों तक।
तुम्हे पुकार लूँ।
जब सवेरा आँखें मिचकाते आए ,
थोड़ा और सोने को मेरा मन ललचाए,
जब सर्दी में रज़ाई हमे बड़ा प्रेम दिखाए ,
बिस्तर से उठूँ कैसे ? ये प्रश्न हमे रुलाए।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तुम्हारा नाम लूँ , तम्हे पुकार लूँ।।
जब लगी ज़ोर की भूख हो ,
जब घर का खाना याद आए ,
जब mess की थाली देखकर चिल्लाने का जी हो जाए।
जब गले में हो प्यास और पानी बिलकुल न भाए ,
जब जेब में फूटी कौरी न हो ,
और icecreme पे दिल आ जाए।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तुम्हारा नाम लूँ , तुम्हे पुकार लूँ।।
जब गुरूजी की बातें ,सर के उपर से पार हो जाए ,
और class में बैठें रहना हमे रुलाए ,
जब equations के मेले में हम भटक रहे हों अकेले ,
जब पढ़ते पढ़ते हमे माँ की चम्पी याद आ जाए।
जब परीक्षा अपना विकट रूप दिखाए ,
और डर से हम शाष्टांग हो जाए ,
जब नींद भरी आँखें देख तुम हमपर चिल्लाए ,
फिर तो डर से नींद भी भाग जाए ,
फिर भी ५ मिनट सोने को हमारा मन ललचाए।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तुम्हारा नाम लूँ , तुम्हे पुकार लूँ।।
जब सोच के पन्ने हमे सपने बड़े दिखाए ,
कुछ अजूबा सा कर जाने को दिल मेरा ललचाए ,
जब हकीकत सपने तोड़ने को हों आँखें लड़ाए ,
जब मुश्किलों से हार कर हम खुद को कोसते जाएं ,
जब देवदास की प्रीतिमा बने हम काश काश चिल्लाएं ,
जब कोशिश पीछे छोड़ कर रोने का गाना गाएं।।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तम्हारा नाम लूँ, तुम्हे पुकार लूँ।।
जब दिन की करकारती धूप में हमे चाय पिने का मन हो जाए ,
जब घुम्मकड़ प्रकृति से तंग हमे बस चलते रहना पसंद आए ,
जब बातें बोहोत सुनानी हों ,
जब ख़ामोशी ही राश आए ,
जब खुले आसमां के नीचे सोने का मन हो जाए ,
जब बारिश की बुँदे मन में हमारे खेल कोई नया लाए ,
जब हवा बसंती हमे कहीं दूर बुलाए ,
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तुम्हारा नाम लूँ , तम्हे पुकार लूँ।।
जब कोई दिल तोड़ के चला जाए ,
जब जीवन गम का सागर बन जाए ,
"यहाँ सब कुछ बेकार है ,
यहाँ तो मरना भी दुश्वार है "
जब इस छोटे से दिमाग में ख्याल विचित्र आए ,
पागल और हममे कोई फर्क न रह जाए ,
जब बेकार की बातों में हम अपने सपने भूल जाएं।
तो मन में मेरे बस एक ही बात आए ,
तम्हारा नाम लूँ ,तम्हे पुकार लूँ।।